■ मुक्तक : 232 – आज कच्चे ही Posted on May 27, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments आज कच्चे ही सभी पकने लगे हैं ॥ इसलिए जल्दी ही सब थकने लगे हैं ॥ अपने छोटे छोटे कामों को भी छोटे- छोटे भी नौकर बड़े रखने लगे हैं ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,421