■ मुक्तक : 236 – जानता हूँ ये Posted on May 30, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार ) जानता हूँ ये कि वो निश्चित ही कुछ पथभ्रष्ट है ॥ थोड़ी उच्छृंखल है औ’ थोड़ी बहुत वह धृष्ट है ॥ इतने सब के बाद भी उस पर मेरा पागल हृदय , घोर अचरज…. तीव्रता से हो रहा आकृष्ट है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,460