■ मुक्तक : 239 – पेड़ पे लटका Posted on June 2, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments पेड़ पे लटका आम लगता टपका-टपका सा ॥ आँख फाड़े हुए मैं जागूँ झपका-झपका सा ॥ हर्ष-उत्साह से अनभिज्ञ रह सतत निश्चित , मृत्यु की ओर बढ़ रहा हूँ लपका-लपका सा ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,453