■ मुक्तक : 240 – पढ़ता नहीं कोई Posted on June 3, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments पढ़ता न कोई हो भला तो क्यों लिखे कोई ? अंधे के वास्ते बताओ क्यों सजे कोई ? होता तो होगा फ़ायदा ज़रूर वर्ना सच , कोई सुने न फिर भी अपनी क्यों कहे कोई ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,147