■ मुक्तक : 245 – चीख चिल्लाहट है Posted on June 5, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments चीख-चिल्लाहट है कर्कश कानफोड़ू शोर है ॥ इस नगर में एक भागमभाग चारों ओर है ॥ सुख की सारी वस्तुएँ घर-घर सहज उपलब्ध हैं , किन्तु जिसको देखिये चिंता में रत घनघोर है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,547