■ मुक्तक : 246 – विष्णु न होकर Posted on June 6, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments विष्णु न होकर लक्ष्मी की अभिलाषा अनुचित है । राम हो तो सीता का मिलना यत्र सुनिश्चित है – तत्र सभी अंधे बटेर पाले रखते मन में , शूर्पनखाओं को केवल लक्ष्मण ही इच्छित है ! -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,053