■ मुक्तक : 250 – सीधी नहीं Posted on June 10, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments सीधी नहीं मुझे प्रायः विपरीत दिशा भाये ॥ मैं चमगादड़ नहीं किन्तु सच अमा निशा भाये ॥ मैं संतुष्ट तृप्त अपने परिवेश परिस्थिति से , मुझको सचमुच नीर मध्य मृगमार तृषा भाये ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,444