■ मुक्तक : 257 – अतिशय विनम्र था Posted on June 30, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments अतिशय विनम्र था तनिक अशिष्ट हो गया ॥ पा पाके उनका प्रेम रंच धृष्ट हो गया ॥ मित्रों में थी न पहले मेरी पूछ औ’ परख , अब शत्रुओं में भी मैं अति-विशिष्ट हो गया ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,039