■ मुक्तक : 263 – ना हरिश्चंद्र न सुकरात Posted on July 4, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ना हरिश्चंद्र न सुकरात मुझे बनना है ॥ आत्मघाती न हो उतना ही सच उगलना है ॥ फूट जाये न कहीं सर ये छत से टकराकर , बंद कमरों में एहतियात से उछलना है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,287