■ मुक्तक : 274 – तक़्दीर Posted on July 7, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments कब किसी क़िस्म की तदबीर काम आती है ? नामो-शोहरत को तो तक़्दीर काम आती है ॥ जब मुक़ाबिल हों तोपें बेहतरीन बंदूकें , तब गुलेल और न शमशीर काम आती है ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,175