■ मुक्तक : 277- अपने पैरों पर Posted on July 8, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments अपने पैरों पर ख़ुद अपना वज़्न तो उठता नहीं ॥ फिर भी सब ढोते हुए मेरा बदन दुखता नहीं ॥ ज़िंदगी चलना है रुकना मौत है मानूँ हूँ मैं , इसलिए बिन पैर भी चलना मेरा रुकता नहीं ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,557