■ मुक्तक : 278 – राहों में कितनी Posted on July 22, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments राहों में कितनी कितनी बार मिल चुका खड़ा ॥ करने को मुझसे ज़िद वो कितनी मुद्दतों अड़ा ॥ पैवस्त दिल में डर था इतना बेवफ़ाई का , पचड़े में इश्क़ के मैं इसलिए नहीं पड़ा ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,441