मुक्तक : 281 – दिल में कितनी Posted on July 23, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments दिल में कितनी थी तमन्नाएँ सब्ज़ो-लाल मगर ॥ रह गईं होते – होते पूरी बाल – बाल मगर ॥ कुछ ख़तावार हम थे कुछ थी हमारी क़िस्मत , चाहते थे उड़ें आज़ाद मिले जाल मगर ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 101