■ मुक्तक : 283 – वांछित थे उपन्यास Posted on July 24, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments वांछित थे उपन्यास मिलीं किन्तु वृहद गल्प ॥ अत्यंत के भिक्षुक थे मिला न्यूनतम-अत्यल्प ॥ ये भाग्य-दोष था कि किए जिसके लिए यत्न, उसके उचित स्थान पे प्रायः मिले विकल्प ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 5,185