■ मुक्तक : 285 – जो गड्ढा है Posted on July 25, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments जो गड्ढा है वो कुछ करले , समंदर बन नहीं सकता ।। सिपाही चार बित्ते का , सिकंदर बन नहीं सकता ।। उड़े कितनी भी ऊँची बाज से तितली न जीतेगी , बहुत उछले मगर मेंढक , तो बंदर बन नहीं सकता ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,235