■ मुक्तक : 289 – ज़माना आ गया Posted on July 28, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ज़माना आ गया है ओह बुरा यार अब तो !! हवस को दे रहा है नाम जवाँ प्यार अब तो !! किसी को रूह का न हुस्न रहा अब लाज़िम , हुआ है जिस्म का हर एक तलबगार अब तो ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,440