■ मुक्तक : 291 – न तिनका है न Posted on July 29, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments न तिनका है न कश्ती है न इक पतवार अपना है ॥ चलो अब डूब जाने में ही बेड़ा पार अपना है ॥ यूँ लाखों से है पहचान और हज़ारों से मुलाक़ातें , मगर क्या फ़ाइदा इक भी न सच्चा यार अपना है ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,058