■ मुक्तक : 293 – जब तक थे Posted on July 30, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments जब तक तेरे ख़याल-ओ-ख़्वाब में थे खोये से ॥ जागे हुए भी हम थे जैसे सोये – सोये से ॥ ठोकर ने तेरी नींद तो उड़ा दी हाँ मगर , हँसते हुए भी लगते अब तो रोये – रोये से ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,956