■ मुक्तक : 294 – पाँवों के होते Posted on July 31, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments पाँवों के होते हाथों से बढ़ना सही नहीं ॥ दुनिया मिटा के जन्नतें गढ़ना सही नहीं ॥ बेहतर है आदमी का ज़मीं पर गुजर-बसर , छत छोड़ आस्मान पे चढ़ना सही नहीं ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,139