■ मुक्तक : 302 – न थे हम जिनके Posted on August 8, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments न थे हम जिनके कुछ हमको वो अपना सब समझते थे ॥ अज़ीमुश्शान अलग इंसाँ मगर वो कब समझते थे ? क़सम रब की किया करते थे जब हमसे मोहब्बत वो , हमें वो मज़्हब-ओ-ईमाँँ क्या अपना रब समझते थे ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,342