■ मुक्तक : 303 – बेशक़ है उसका Posted on August 9, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments बेशक़ है उसका जिस्मे-पुरकशिश तो बेगुनाह ।। लेकिन है हुस्न कमसिनों के दिल की क़त्लगाह ।। अंधा भी उसके दीद ही को चाहता है आँख , जो देखे राह चलता रुक के भरता सर्द-आह ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,256