■ मुक्तक : 309 – मुफ़्लिसी में Posted on August 15, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments मुफ़्लिसी में अपार दौलतो-दफ़ीना हो ।। बाढ़ से जो लगा दे पार वो सफ़ीना हो ।। धुप्प अँधेरों में इक मशालची हो, सूरज हो , कब से इस बंद दिल का तुम धड़कता सीना हो ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,320