■ मुक्तक : 315 – नहीं लिखता Posted on August 20, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments नहीं लिखता किसी की तू न लिख मेरी मगर लिखना ।। ख़ुदा मेरे मेरी तक़्दीर दोबारा अगर लिखना ।। कि जितनी चाय में शक्कर कि आटे में नमक जितना , तू बस उतना ही उसमें रंजो-ग़म कम या ज़बर लिखना ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,447