■ मुक्तक : 334 – इक नहीं खोटा Posted on September 11, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments इक नहीं खोटा सभी चोखे दिये हैं ॥ सब ने मिल-जुल कर जो कुछ धोख़े दिये हैं ॥ आस्तीनों में जो पाले साँप थे तो , हमने ही डसने के ख़ुद मौक़े दिये हैं ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,549