■ मुक्तक : 335 – रोजी-रोटी न काम Posted on September 11, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments रोजी-रोटी न काम-धाम की पर्वाह तू कर ॥ फिर न रुसवाई की न नाम की पर्वाह तू कर ॥ अपने पाँवों को पर बनाने की बस फ़िक्र को रख , इश्क़ कीजै तो मत मक़ाम की पर्वाह तू कर ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,114