■ मुक्तक : 338 – बर्बाद मेरी हस्ती Posted on September 15, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments बर्बाद मेरी हस्ती को सँवार दिया था ॥ यों डूबती कश्ती को पार उतार दिया था ॥ मुझ जैसे गिरे क़ाबिले-नफ़रत को उठा जब , मजनूँ को जैसे लैला वाला प्यार दिया था ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,258