■ मुक्तक : 342 – बेबस हो वो ख़रीदे Posted on September 20, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments बेबस हो वो ख़रीदे मुँहमाँगे दाम में ॥ जो चीज़ रोज़ आती इंसाँ के काम में ॥ गोदाम में सूरज को कर क़ैद बेचें वो , इक-इक किरन को इक-इक सूरज के दाम में ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,531