■ मुक्तक : 346 – यूँ ही शेरों से Posted on September 22, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments यूँ ही शेरों से तो न कोई उलझ पड़ता है ? जिसमें होता है दम-ओ-गुर्दा वही लड़ता है ॥ बज़्म-ए-रावण में कोई लँगड़ा पहुँच जाये मगर , पाँव अंगद की तरह कौन जमा अड़ता है ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,237