■ मुक्तक : 347 – प्यार के चक्कर में Posted on September 24, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments प्यार के चक्कर में बेघरबार होकर ख़ुश रहूँ ॥ मैं हूँ पागल इश्क़ की बीमार होकर ख़ुश रहूँ ॥ बज़्म , मज्लिस , अंजुमन , पुरशोर-महफ़िल से जुदा , बेज़ुबाँ वीराँ में गुमसुम नार होकर ख़ुश रहूँ ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,143