मुक्तक : 351 – आस-विश्वास Posted on September 27, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments आस-विश्वास मारे जा रहे हैं ॥ आम-ओ-ख़ास मारे जा रहे हैं ॥ पहले ख़ुशबू ही देते थे मगर अब , फूल सब बास मारे जा रहे हैं ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 127