■ मुक्तक : 352 – कैसा पागल Posted on September 29, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments कैसा पागल बादल है कहता है प्यासा हूँ ? क्यों लबरेज़ समंदर बोले खाली कासा हूँ ? किसके ख़ौफ़ से आज है बंद ज़ुबाँ बड़बोले की ? भारी भरकम टन ख़ुद को कहता है मासा हूँ ! -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,274