■ मुक्तक : 356 ( B ) – इष्ट मित्र ? Posted on October 13, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments पंक में खिलते कमल को मानते हो अति पवित्र ।। जंगली पुष्पों में भी तुम सूँघते फिरते हो इत्र ।। किन्तु जिसने झोपड़ी में यदि लिया होता है जन्म , हिचकिचाते क्यों बनाने में उसे तुम इष्ट मित्र ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,796