■ मुक्तक : 357 – ख़ुशहाल दिल को Posted on October 26, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार ) ख़ुशहाल दिल को जब्रन नाशाद करके रोऊँ ।। आबाद ज़िंदगानी बर्बाद करके रोऊँ ।। क्या हो गया है मुझको उस सख़्त-बेवफ़ा को , मैं क़ब्र में पहुँचकर भी याद करके रोऊँ ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,699