■ मुक्तक : 358 ( B ) – चलती गाड़ी के लिए Posted on October 28, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments चलती गाड़ी के लिए लाल सी झंडी होगा ।। बर्फ़ उबलता वो कड़क चाय भी ठंडी होगा ।। अजनबी ही है मगर क्यों वो लगे चेहरे से , उसके जैसा न कोई और घमंडी होगा ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,346