■ मुक्तक : 359 – कब वो मेरा है Posted on October 31, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments कब वो मेरा है मेरे हुस्न का फ़िदाई है ।। उसको बस जिस्म से ही मेरे आश्नाई है ।। ख़ूबसूरत रहूँगी तब ही तक वो चाहेगा , मैं न मानूँ तो क्या मगर यही सचाई है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,034