■ मुक्तक : 362 – छोटे से सिर पे Posted on November 3, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments छोटे से सिर पे पत्थरों का इक पहाड़ है ।। ये ज़िंदगी तो जैसे कि क़ैदे तिहाड़ है ।। मातम है तेरे बिन तो ख़ुशी भी मेरे लिए , हर खिलखिलाता बाग़ सिसकता उजाड़ है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,937