■ मुक्तक : 368 – चन्दन – तिलक Posted on November 9, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments चन्दन-तिलक क्यों माथे पे लगा रहे हो तुम ? क्या दिल के कालेपन को यों छिपा रहे हो तुम ? क्या हो गया है पाप कोई बार-बार जा , गंगा में कभी जमुना में नहा रहे हो तुम ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,035