■ मुक्तक : 373 – न समीप हूँ तेरे मैं न तू Posted on November 15, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments न समीप हूँ तेरे मैं न तू , सशरीर यों मेरे पास है ।। पर पूर्णतः इस बात का , मुझको अटल विश्वास है ।। अव्यक्त है वाणी से जो , व्यवहार से परिलक्षित हो , तू न माने किन्तु मेरा तेरे , हृद् में स्थायी निवास है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,223