■ मुक्तक : 374 – निकल आई है मेरी Posted on November 15, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments निकल आई है मेरी किसलिए रोनी सी सूरत ? ग़ज़ब हैं वो जो ग़म में भी रखें हँसने की क़ुव्वत ।। ग़ुलामी किसको करती है किसी की शाद बोलो ? हमेशा दर्द जब करता रहा मुझपे हुकूमत ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 2,826