■ मुक्तक : 375 – चाहे बस एक बार Posted on November 16, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments चाहे बस एक बार ही मैंने ।। ये ख़ता की सुधार सी मैंने ।। मुझको लेना था जिसकी जाँ उसपे , ज़िंदगी अपनी वार दी मैंने ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 4,442