
यादों में तेरी नित पड़-पड़ कर , जीवन का भुलक्कड़ बन बैठा ।।
सुख-शांति भरे सुंदर मुख पर , ज्यों सुदृढ़ मुक्का हन बैठा ।।
मति मारी गई जो न होती मेरी , तेरी नयन-झील में न डूबता मैं ,
सबसे जिसको था बचाए रखा , तुझे कर वो समर्पित मन बैठा ।।
-डॉ. हीरालाल प्रजापति
2,217