■ मुक्तक : 381 – हर एक एक से एक Posted on November 21, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments हर एक एक से एक बढ़कर लगे है ।। नज़र को हसीं सबका मंज़र लगे है ।। मोहब्बत की दुनिया बसाने को लेकिन , नहीं कोई दिल क़ाबिले घर लगे है ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,228