■ मुक्तक : 388 – वो चमकदार Posted on November 26, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments वो चमकदार आजकल क्यों लुप ही रहता है ? सामने क्यों न आए सबसे छुप ही रहता है ? बात-बेबात-बात करने वाला आख़िर क्यों , अब तो बकबक की जगह पर भी चुप ही रहता है ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,165