मुक्तक : 394 – ज़्यादा न सही मैंने माना Posted on December 3, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ज़्यादा न सही मैंने माना कम बहुत ही कम ।। लेकिन है तुझको मुझसे जुदाई का कुछ तो ग़म ।। बेशक़ तू मुस्कुरा ,तू खिलखिला ,तू नाच-गा , करती हैं चुगली तेरी ये आँखें उदास-ओ-नम ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 126