मुक्तक : 396 – पूरा था , वो कब आधा था Posted on December 7, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments पूरा था वो , कब आधा था ; था कब टूक जनाब ? इंसाँँ को पहचानने में वो था तो अचूक जनाब !! उससे भी हुई भूल जिसे समझा वो दूर से आज – इक गिन्नी , लेकिन दरअस्ल वो शख़्स था थूक जनाब !! -डॉ. हीरालाल प्रजापति 111