■ मुक्तक : 399 – करनी Posted on December 10, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments ( चित्र Google Search से साभार ) ये उनकी करनी थी या क़िस्मत का लेखा था ? जो भी हो पर हमने ऐसा सचमुच पेखा था ।। वो जो ग़ुस्ल किया करते थे दूध से इतराकर , वक़्त पे उनको पेशाबें तक पीते देखा था ।। -डॉ. हीरालाल प्रजापति 3,638