मुक्तक : 401 – होता है तभी खिड़कियों का Posted on December 18, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments होता है तभी खिड़कियों का डुलना-खड़कना ; फ़िर भी न चुप्पियों में ख़लल करने फड़कना , मजबूरियों में जबकि तुंद आँधियाँ चलें – बादल में बिजलियों का हो पुरशोर कड़कना ॥ -डॉ. हीरालाल प्रजापति 131