मुक्तक : 411 – सर्द ख़ामोशी से Posted on December 21, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments सर्द ख़ामोशी से सुनता तो रहा वो रात भर , एक भी आँसू न टपका आँख से उसकी मगर ! क्या मेरी रूदादे-ग़म में मिर्च की धूनी नहीं ? दास्ताने-इश्क़ मेरी आँख को है बेअसर ? -डॉ. हीरालाल प्रजापति 102