मुक्तक : 416 – बिन कुछ किए धरे Posted on December 23, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments बिन कुछ किए धरे वो होते जाएँ क़ामयाब ? हम लाख उठा-पटक करें न कुछ हो दस्तयाब ।। दिल भी जलाएँ हम तो दूर हो न अंधकार , वो जुल्फ़ ही सँवार दें तो ऊगें आफ़्ताब !! -डॉ. हीरालाल प्रजापति 842