■ मुक्तक : 420 – मूरत जो हुस्न की Posted on December 25, 2013 /Under मुक्तक /With 0 Comments मूरत जो हुस्न की कोई पहला बनाएगा ॥ वो हू ब हू बस आपका पुतला बनाएगा ॥ काढ़ेगा सताइश के क़सीदों पे क़सीदे , रँग झक रुपहला रूप सुनहला बनाएगा ॥ –डॉ. हीरालाल प्रजापति 1,940